दो दिवसीय दौरे पर गोरखपुर आयेंगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
गोरखपुर 27 जून (वार्ता) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आगामी 30 जून को दो दिसीय दौरे पर गोरखपुर पहुंचेगी, जहांवह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रथम दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में 30 जून को और एक जुलाई को पंचकर्म केंद्र के औपचारिक लोकार्पण कार्यक्रम में शिरकत करेंगी।
राष्ट्रपति गोरखपुर में सबसे पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रथम दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में 30 जून को शिरकत करेंगी, यहां वह मेधावियों को मेडल प्रदान करेंगी। उसके बाद एक जुलाई को भटहट के पिपरी में बने प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण करेंगी जबकि दिन के दूसरे पहर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुलाधिपतित्व वाले महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में ऑडिटोरियम, अकादमिक भवन, पंचकर्म केंद्र का लोकार्पण एवं गर्ल्स हॉस्टल का शिलान्यास करेंगी।
अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान राष्ट्रपति गोरखनाथ मंदिर जाकर महायोगी गोरखनाथ दर्शन पूजन भी करेंगी। अपनी विकासपरक उपलब्धियों पर इतरा रहे गोरखपुर में अपने आठ साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सात वर्ष के भीतर दो राष्ट्रपतियों का कुल मिलाकर चौथा दौरा करवाने जा रहे हैं। उनके कार्यकाल में तीन बार बतौर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गोरखपुर आए थे।
श्री कोविंद 10 दिसंबर 2018 को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक समारोह में 28 अगस्त 2021 को आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के लोकार्पण समारोह में तथा चार जून 2022को गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारंभ पर गोरखपुर आये थे। अब देश की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का प्रथम बार दो दिन के लिए गोरखपुर आगमन होने जा रहा है।
कई गंभीर बीमारियों में कारगर मानी जाने वाली आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा की विश्व स्तरीय सुविधा अब गोरखपुर में भी मिलने लगी है। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) के आयुर्वेद कॉलेज ,गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूटऑफ मेडिकल साइंसेज के पंचकर्म केंद्र में रोगियों को इस महत्वपूर्ण सेवा का लाभ सिर्फ लागत दर पर मिल रहा है। यहां के पंचकर्म केंद्र का औपचारिक लोकार्पण 01 जुलाई को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु के हाथों होने जा रहा है।
गोरखपुर में पंचकर्म चिकित्सा की सुविधा कतिपय स्थानीय संस्थानों में मिल रही थी। इसे वैश्विक स्तर की सुविधाओं से जोड़ने की पहल महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के आयुर्वेद कॉलेज में की गई। मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं और उनके विजन के अनुरूप यहां जिस तरह से पंचकर्म केंद्र को शुरू किया गया है ,वह इस चिकित्सा पद्धति में प्रसिद्ध दक्षिण भारत से भी बेहतरीन है। एमजीयूजी के आयुर्वेद कॉलेज में पंचकर्म केलिए जो केंद्र बनाया गया है उसमें 11 कॉटेज अलग.अलग पुरुष और महिला चिकित्सा कक्ष, तैयारी कक्ष और दो परामर्श कक्ष शामिल हैं।
पंचकर्म भारत के प्राचीन आयुर्वेद विज्ञान के अंतर्गत एक प्राथमिक उपचार पद्धति है। यह मन, शरीर और चेतना केलिए संतुलन कायाकल्प प्रदान करता है। ये उपचार शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं और मानक संतुलन को बहाल करते हैं। स्वास्थ्य में सुधार करते हैं, प्रतिरक्षा को मजबूत करते हैं और तनाव के नकारात्मक प्रभावों को उलटते हैं। पंचकर्म चिकित्सा रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए भी जानी जाती है।
पंचकर्म केंद्र के प्रभारी डॉ़ श्रीधर बताते हैं कि यहां नसों की बीमारी, मोटापा, अस्थमा, जोड़ों का दर्द, गठिया, सियाटिका, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, चर्म रोग, मानसिक तनाव, स्ट्रोक, रीढ़ की हड्डी के रोग, थायराइड, मधुमेह, कंधे का दर्द, यूरिक एसिड और नपुंसकता आदि का इलाज पंचकर्म में निहित पांच प्रक्रियाओं ;वमन, विरेचन, नस्ती, नस्य और रक्तमोक्षणद्ध द्वारा किया जा रहा है।
डॉ़ श्रीधर बताते हैं कि यहां पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलावा यूपी के अन्य जिलों और दूसरे राज्यों से भी लोग आ रहे हैं। एमजीयूजी के आयुर्वेद कॉलेज के पंचकर्म केंद्र में प्रतिदिन औसतन 50 पंचकर्म प्रक्रियाएं हो रही हैं। यहां इलाज करानेवालों में कई ऐसे भी हैं जो कई बड़े अस्पताल और डॉक्टरों के यहां चक्कर लगाने के बाद भी निराश होने लगे थे।
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