शनिवार, 28 जून 2025
महामारी बनी दिल की बीमारी, उपाय साइकिल की सवारी
महामारी बनी दिल की बीमारी, उपाय साइकिल की सवारीअमरोहा 28 जून (वार्ता) बदलते पर्यावरण के प्रभाव ,खान-पान और जीवनशैली के कारण गंभीर बीमारियों की आवृत्ति न केवल बढ़ी है बल्कि यह ज्यादा घातक साबित हो रही हैं। ऐसी ही एक बीमारी दिल की बीमारी है जो वर्तमान में महामारी का रूप लेती नजर आ रही है।
बीती रात “ कांटा गर्ल” के नाम से विख्यात शैफाली जरीवाला की मौत से यह आम धारणा और मजबूत हुई है कि दिल की बीमारी कम उम्र के लोगों के लिए बेहद घातक साबित हो रही है। फिटनेस के लिए विशेषज्ञों ने साइकिल चलाने को लोकप्रिय व्यायाम माना है।
चिकित्सकों का कहना है कि बहुत से लोग धीरे-धीरे साइकिल को अपनी दिनचर्या में शामिल करते जा रहे हैं क्योंकि यह मांसपेशियों को स्वस्थ करने तथा हृदय रोगों को रोकने में मददगार साबित हुआ है,साथ ही मानसिक स्वास्थ्य व वज़न कम करने समन्वय और संतुलन में सुधार करने में लाभकारी माना जाता है।
मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ रविन्द्र सिरोहा ने बताया है कि जीवन में साइकिल आज़ भी उतनी ही उपयोगी है जितना पहले थी। साइकिल चलाने से फिटनेस , मनोरंजन, खेल तथा हृदय की धमनियों में रक्त संचार सुचारू रहने से हृदय स्वस्थ रहता है वहीं दूसरी ओर शरीर का सही वज़न और तनाव कम होता है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश के युवाओं में साइकिल के प्रति धीरे-धीरे रूझान बढ़ रहा है। दिल्ली के राजपथ से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ तक भारत की योग क्षमता जहां पूरा विश्व कायल हो गया है और भारत योग गुरु बन गया है वहीं दूसरी ओर सेहत के प्रति जागरूक युवाओं में चीन और नीदरलैंड की तरह भारत में भी फिर से साइकिलिंग का क्रेज़ दिखाई दे रहा है। साइकिल के मामले में चीन में साइकिलों की संख्या कारों की संख्या से अधिक है, वहीं नीदरलैंड में 15 वर्ष से अधिक उम्र के आठ में से सात लोगों के पास साइकिल हैं।
दुनिया-भर में योग के संवाहक भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्ष 2017 में जब नीदरलैंड गये थे उस दौरान वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री मार्क रुट ने श्री मोदी को नीदरलैंड की पहचान के रूप में एक साइकिल भेंट की थी। जिसे उन्होंने वहां प्रधानमंत्री आवास के सामने चलाया भी था। यह अकाट्य सत्य है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब भी कोई पहल करते हैं वह चलन ट्रेंड में आ जाता है। साइकिल को लेकर तब एक उम्मीद भारत में जगी थी कि स्वच्छता और योग के बाद राजमार्गों के किनारे फुटपाथों साइकिल परिपथों के निर्माण से साइकिल के प्रति लोगों में जागरूकता फैलेगी।उसका असर आम और खास पर हुआ भी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नीदरलैंड में साइकिल चलाने के बाद से उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के अकेले कलाली गांव में लगभग सौ साइकिल का इस्तेमाल होने लगा है। इस संबंध मे दूध का काम करने वाले कलाली निवासी ऋषिपाल सिंह ने बताया कि गांव से शहर-कस्बे में आने-जाने के लिए ग्रामीणों की पहली पसंद साइकिल है।
प्रसिद्ध समाजशास्त्री डॉ एम मुस्तकीम के रेल मंडल मुख्यालय मुरादाबाद में अधिकारी पद पर तैनात रहे स्व.पिता यासीन 90 साल की उम्र में भी साइकिल से नाता जुड़ा रहा। उत्तर प्रदेश बिजली विभाग अमरोहा के मंडी धनौरा से सेवानिवृत्त लगभग 85 वर्षीय बाबूराम शर्मा आज़ भी पांच हजार रुपये कीमत की साइकिल इस्तेमाल करते हैं।
श्री बाबूराम शर्मा का मानना है कि कम उम्र में दिल की बीमारियों से जूझ रहे लोगो को स्वस्थ रहने के लिए हररोज मील दो मील साइकिल अवश्य चलाना चाहिए। बुजुर्ग का मत है कि सरकार को दिल की बीमारी से मौतों को गंभीरता से लेना चाहिए साथ ही साइकिल को प्रोत्साहन देना चाहिए। श्री बाबूराम शर्मा आज़ भी इस उम्र साइकिल चलाते हैं, वह कहते हैं कि उनके स्वस्थ रहने का राज़ सिर्फ साइकिल चलाना है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, मुजफ्फरनगर , सहारनपुर,बागपत, शामली,हापुड़, बिजनौर रामपुर, अमरोहा, सम्भल , मुरादाबाद, सहारनपुर मंडल के ग्रामीणों में कार स्कूटर बाइक के चलन साथ ही अब साइकिल खरीदने का चलन बढ़ रहा है। ख़ासतौर से युवा और चालीस के करीब लोग अब सड़कों पर साइकिल सरपट दौड़ा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्था 'द आर्ट ऑफ लिविंग' से लंबे समय से जुड़े रहे जिंदल हास्पिटल धनौरा के संचालक डॉ बीएस जिंदल ने बताया कि जिम सेंटर पर बिकने वाले फूड़ सप्लिमेंट के प्रयोग के दुष्परिणामों से तंग आकर युवा वर्ग का अब साइकिल की ओर रुझान बढ़ रहा है। डॉ जिंदल ने बताया कि साइकिल चलाना सबसे बेहतरीन कसरतों में से एक माना जाने लगा है। इसमें पहला लाभ पैरों की अच्छी खासी कसरत होने से दिल की धड़कनें उतना बढ़ जाती हैं जितना सेहतमंद के लिए उचित है। दूसरा साइकिल चलाना आसान है, हर किसी को साइकिल चलाना आता है। या फिर सरलता से सीख सकता है। साइकिल को अपनी व्यस्ततम जिंदगी में समय दिया जा सकता है। यहां तक कि जोड़ों के दर्द वालों के लिए साइकिल चलाना आसान भी है और बेहतर भी, क्योंकि साइकिल चलाते वक्त शरीर का भार जोड़ों पर नहीं पड़ता, बल्कि साइकिल पर रहता है।
डाक्टर्स का मानना है कि कसरत न करने से दिल के रोग का अंदेशा उतना ही है जितना रोज़ाना 20 सिगरेट पीने से या अत्यधिक कालेस्ट्रोल बढ़ने से है। लंबे समय तक जिम से जुड़े रहने वाले स्थानीय युवा बलराम मौरल ने बताया कि साइकिल चलाने से क़रीब 300 कैलोरीज़ प्रति घंटा खत्म हो जाती हैं। आधा घंटा रोज साइकिल चलाने से से एक साल में 11 पोंड वसा बाहर निकल जाता है। साइकिल रोज-रोज चलाई जाती है इससे वज़न में गिरावट आने से मोटापा घटना स्वाभाविक है।
अमरोहा के मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ सतपाल सिंह ने बताया कि 15 हफ्ते लगातार साइकिल चलाने से धमनियों की सेहत 3-7 फीसदी दुरुस्त रहती हैं, इस तरह कोलेस्ट्रॉल का स्तर पांच फीसदी और मोटापे में तीन फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। साइकिल चलाना फेफड़ों को खोलता है। सड़क पर प्रदूषण की मार झेलने के बावजूद साइकिल सवार की सांस लेने की क्षमता तेज़ हो जाती है। केवल इतना ही नहीं साइकिल चलाने से मांसपेशियां हरकत में रहती हैं।दिल के लिए उत्तम, टांग की मांशपेशियों के लिए बलदायक, कूल्हों और घुटनों के लिए अतिरिक्त गतिविधि फायदेमंद माना जाता है। साइकिल चलाते वक्त ख़ून का दौरा सामान्य से छह गुना अधिक तेज दौड़ता है नतीजतन उच्च रक्तचाप सामान्य रहता है। साइकिल चलाने से तनाव, अवसाद से छुटकारा मिल सकता है।
पर्यावरण संरक्षणवादी अरुण तिवारी का कहना है कि नेशनल हाईवे हों या स्टेट हाईवे या फिर संपर्क मार्ग सभी सड़कों के किनारे फुटपाथ तथा बड़े-बड़े छायादार वृक्ष होते थे जो अब कहीं नहीं दिखाई पड़ते।इस ओर शीघ्र पहल करनी चाहिए।फुटपाथ और छायादार वृक्ष पर्यावरणीय दृष्टिकोण के साथ साथ साइकिल चलाने वालों के प्रोत्साहन लिए आवश्यक है।
Featured Post
‘राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 75 वर्ष’ थीम पर कल मनाया जायेगा सांख्यिकी दिवस
‘राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 75 वर्ष’ थीम पर कल मनाया जायेगा सांख्यिकी दिवस नयी दिल्ली 28 जून (वार्ता) सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन ...
-
दिलबाग सिंह विर्क प्रेम ही संसार की नींव है। हमारे मोहल्ले में एक शिक्षक महोदय ने कुत्ते के छोटे-छोटे बच्चों की सेवा -सुश्रुसा की। उन्हें टी...
-
सहारनपुर, 05 फरवरी (वार्ता) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में पार्टी की ओर से सभी समाज के...
-
अमिताभ स. 'सफलता और असफलता में से किसी एक का पलड़ा भारी नहीं है, क्योंकि सीखते हम दोनों से हैं।Ó कहना है, इसरो के पूर्व प्रमुख व जाने-मा...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें