गरीबों को दंडित करने का प्रावधान है मोदी सरकार का जीएसटी : राहुल
गरीबों को दंडित करने का प्रावधान है मोदी सरकार का जीएसटी : राहुल
नयी दिल्ली, 01 जुलाई (वार्ता) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने वस्तु एवं सेवा कर-जीएसटी को जनता के साथ आर्थिक अन्याय और गरीबों को दंडित करने वाला प्रावधान करार देते हुए कहा है कि यह जीएसटी महज कारपोरेट भाई भतीजावाद तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया है।
श्री गांधी ने मंगलवार को सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में जीएसटी के आठ साल पूरा होने पर कहा “आठ साल बाद, मोदी सरकार का जीएसटी कोई कर सुधार नहीं है -यह आर्थिक अन्याय और कॉर्पोरेट भाई-भतीजावाद का एक क्रूर साधन है। इसे गरीबों को दंडित करने, एमएसएमई को कुचलने, राज्यों को कमजोर करने और प्रधानमंत्री के कुछ अरबपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया था। एक ‘अच्छा और सरल कर’बनाने का वादा था लेकिन देश की जनता को जीएसटी के रूप में दुःस्वप्न मिला जिसमें पाँच-स्लैब हैं और अब तक इसमें 900 से अधिक बार संशोधन किया गया है। यहाँ तक कि कारमेल पॉपकॉर्न और क्रीम बन भी इसके भ्रम में फँस गए हैं।”
उन्होंने कहा कि नौकरशाही बड़े कॉरपोरेट्स के पक्ष में है और वे इसकी खामियों को एकाउंटेंट की सेना के साथ दूर कर सकते हैं, जबकि छोटे दुकानदार, एमएसएमई और आम व्यापारी लालफीताशाही में फंसे हुए हैं और जीएसटी पोर्टल दैनिक उत्पीड़न का स्रोत बना हुआ है। इससे देश के सबसे बड़े रोजगार सृजक एमएसएमई को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है। आठ साल पहले जीएसटी लागू होने के बाद से 18 लाख से अधिक उद्यम बंद हो गए हैं। अब हालात यह हैं कि नागरिकों को चाय से लेकर स्वास्थ्य बीमा तक हर चीज़ पर जीएसटी का भुगतान करना पड़ रहा हैं जबकि कॉर्पोरेट सालाना एक लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा कर छूट का आनंद लेते हैं।
श्री गांधी ने कहा कि पेट्रोल और डीज़ल को जानबूझकर जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, जिससे किसान, ट्रांसपोर्टर और आम लोग परेशान हैं। जीएसटी बकाया को गैर-भाजपा शासित राज्यों को दंडित करने के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है और यह मोदी सरकार के संघीय ढांचे विरोधी एजेंडे का प्रमाण है।
उन्होंने जीएसटी को यूपीए सरकार का एक दूरदर्शी विचार बताया और कहा कि इसका उद्देश्य बाज़ारों को एकीकृत कर कराधान को सरल बनाना था लेकिन इसके खराब क्रियान्वयन, राजनीतिक पूर्वाग्रह और नौकरशाही के अतिरेक ने धोखा दिया है। एक सुधरी हुई जीएसटी को लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए और इस कर प्रणाली को व्यापार के अनुकूल और संघीय भावना के अनुरूप होना चाहिए। उनका कहना था कि देश को एक ऐसी कर प्रणाली की ज़रूरत है जो केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए हो। इससे देश के छोटे दुकानदार से लेकर किसान तक हर भारतीय देश की प्रगति में हिस्सेदार बन सकेगा।
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