दिव्यांगजन हितों पर गंभीर योगी सरकार ने बढ़ाया समावेशी विकास का दायरा
लखनऊ, 29 जुलाई (वार्ता) दिव्यांगजनों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से उत्तर प्रदेश सरकार ने डिजिटल, शैक्षिक, भौतिक और प्रशासनिक ढांचे में समावेशिता बढ़ाने की दिशा में कई बड़े निर्णय लिये हैं।हाल ही में हुई विभागीय समीक्षा में सरकार ने आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक विभाग को निर्देशित किया है कि सभी सरकारी वेबसाइटों को दिव्यांगजन फ्रेंडली बनाया जाए। इस दिशा में अब तक 44 वेबसाइटों को दिव्यांगजनों के अनुकूल रूप से डिजाइन किया जा चुका है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश राज्य सलाहकार बोर्ड की छठवीं बैठक में बेसिक शिक्षा विभाग को विशेष शिक्षकों की शीघ्र नियुक्ति के निर्देश दिये गये हैं, जिससे दिव्यांग बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध हो सके। इस संबंध में आयोजित बैठक में सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्कूल मर्जिंग की प्रक्रिया के दौरान दिव्यांग बच्चों का विस्तृत सर्वेक्षण कराया जाए और उनकी विद्यालय तक पहुंच के लिए वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। साथ ही प्राथमिक विद्यालयों में रैम्प का निर्माण कराया जा चुका है, जिससे व्हीलचेयर पर निर्भर बच्चों को भी सुविधा हो रही है।
माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग को दिव्यांग विद्यार्थियों को आरक्षण के अनुरूप निशुल्क प्रवेश एवं आवश्यक शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार ने लखनऊ स्थित डॉ. शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय और चित्रकूट के जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय को मॉडल संस्थान मानते हुए प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को दिव्यांगजन फ्रेंडली बनाने का निर्देश जारी किया है।
शहरी नियोजन विभाग के अंतर्गत आने वाले 278 सरकारी भवनों में से 271 भवनों को दिव्यांगजनों के लिए सुगम्य बना दिया गया है। इनमें रैम्प, ब्रेल साइनबोर्ड, विशेष शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाएं शामिल हैं। शेष बचे 7 भवनों को भी जल्द ही सुगम्य बनाने का निर्देश दिया है। योगी सरकार बच्चों की विशेष जरूरतों को भी नजरअंदाज नहीं कर रही है। 18 बचपन डे-केयर केंद्रों में दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित और मानसिक मंदित 3 से 7 वर्ष आयु के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा दी जा रही है। दिव्यांग बच्चों के लिए संचालित 16 विशेष विद्यालयों में 1403 और 5 समेकित विशेष विद्यालयों में 171 दिव्यांग बच्चे अध्ययनरत हैं। योगी सरकार ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 के तहत सरकारी सेवाओं में 4 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को भी प्रभावी ढंग से लागू किया है।
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