‘‘जन्म-मृत्यु की सूचना न देने वाले निजी अस्पतालों पर जुर्माने का प्रावधान’’
उप निदेशक डॉ पांडेय ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति का जन्म और मृत्यु पंजीकरण अनिवार्य है। इससे उस व्यक्ति और उसके परिजनों को तो लाभ होता ही है, सरकार को नीति निर्माण में भी मदद मिलती है। सरकारी अस्पतालों में जन्म और मृत्यु के मामलों में अस्पताल को स्वतः संज्ञान लेकर इक्कीस दिनों के भीतर जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना है। ऐसे अस्पतालों के मुखिया ही रजिस्ट्रार होते हैं। निजी अस्पतालों को जन्म और मृत्यु के मामलों में नगर निकाय या नगर निगम को सूचित करना अनिवार्य है। ऐसा न करने वाले अस्पतालों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए। विलंबित जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र के मामलों में निर्धारित प्रक्रिया का पालन अनिवार्य तौर पर होना चाहिए। जन्म मृत्यु प्रमाण पत्रों में लिपिकिय त्रुटियों के सुधार का अधिकार जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले रजिस्ट्रार के पास ही होती है। यह प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार भी सिर्फ रजिस्ट्रार में निहित है।
इस अवसर पर सीएमओ डॉ राजेश झा ने कहा कि यह कार्यशाला जन्म मृत्यु पंजीकरण संबंधित तकनीकि जानकारियों की दृष्टि से बेहद अहम है। सरकारी अस्पतालों में जन्म और मृत्यु के मामलों में पंजीकरण इक्कीस दिन के भीतर सीधे अस्पताल जारी करेंगे। इससे अधिक की अवधि के मामलों में सीएमओ की अनुमति अनिवार्य है। वहीं निजी अस्पतालों में जन्म या मृत्यु के मामलों में नगरीय क्षेत्र में नगर निगम या नगर निकाय, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी प्रमाण पत्र जारी कर सकते हैं।
अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए स्वास्थ्य विभाग और जनगणना निदेशालय के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला के बाद प्रमाण पत्र जारी करने के मामलों में त्रुटि कम हो सकेगी। अपर नगर आयुक्त दुर्गेश कुमार ने इस अवसर पर विभिन्न सवालों के जवाब दिये और कार्यशाला को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया।
इस अवसर पर जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ बीके सुमन, जिला महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ जय कुमार, एसीएमओ डॉ विनय पांडेय, डिप्टी सीएमओ डॉ अनिल सिंह, एआरओ एसएन शुक्ला, रत्नाकर शुक्ला, सहयोगी शशांक और आदिल फखर आदि प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें