नौसेना के बेड़े में शामिल होंगे एक ही दिन दो घातक युद्धपोत

नयी दिल्ली 11 अगस्त (वार्ता) नौसेना के लिए आगामी 26 अगस्त का दिन ऐतिहासिक रहेगा जब उसके बेड़े में एक साथ दो घातक और उन्नत युद्धपोत उदयगिरि (एफ 35) और हिमगिरि (एफ 34) शामिल होंगे।

नौसेना के अनुसार यह पहला मौका होगा जब दो प्रमुख भारतीय शिपयार्डों के दो प्रमुख युद्धपोत को एक ही समय में विशाखापत्तनम में नौसेना में शामिल होंगे।
यह अवसर भारत के तेजी से बढ़ते नौसैनिक आधुनिकीकरण और कई शिपयार्डों से युद्धपोतों का निर्माण करने की उसकी क्षमता को रेखांकित करता है। यह उपलब्धि रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल की सफलता को दर्शाती है। प्रोजेक्ट 17 ए स्टील्थ फ्रिगेट्स का दूसरा युद्धपोत उदयगिरि, मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया है, जबकि हिमगिरि, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स कोलकाता द्वारा निर्मित पी 17 ए जहाजों में से पहला है।
भारतीय नौसेना के लिए एक और बड़ी उपलब्धि के रूप में उदयगिरि नौसेना के युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन किया गया 100वाँ जहाज है।
उदयगिरि और हिमगिरि पहले के डिज़ाइनों की तुलना में अगली पीढ़ीगत का प्रतिनिधित्व करते हैं। लगभग 6,700 टन विस्थापन वाले, पी 17ए फ्रिगेट अपने पूर्ववर्ती शिवालिक-श्रेणी के फ्रिगेट से लगभग पाँच प्रतिशत बड़े हैं और फिर भी इनका आकार अधिक सुडौल है, और इनका रडार क्रॉस सेक्शन कम है।
ये युद्धपोत सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 76 मिमी एमआर गन और 30 मिमी और 12.7 मिमी क्लोज-इन वेपन सिस्टम और एंटी-सबमरीन , अंडरवाटर से लैस है। ये संयुक्त डीजल या गैस प्रणोदन संयंत्रों द्वारा संचालित होते हैं जिनमें डीजल इंजन और गैस टर्बाइन लगे होते हैं जो नियंत्रणीय-पिच प्रोपेलर चलाते हैं और एक एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से प्रबंधित होते हैं। दोनों युद्धपोत 200 से ज़्यादा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम उद्योगों में फैले एक औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र का परिणाम हैं, जो लगभग 4,000 प्रत्यक्ष और 10,000 से ज़्यादा अप्रत्यक्ष रोज़गारों का सृजन करते हैं।
उदयगिरि और हिमगिरि का जलावतरण, जहाज़ डिज़ाइन और निर्माण में आत्मनिर्भरता के प्रति नौसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और इसके बाद विध्वंसक आईएनएस सूरत, फ्रिगेट आईएनएस नीलगिरि, पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर, एएसडब्ल्यू शैलो वाटर क्राफ्ट आईएनएस अर्नाला और डाइविंग सपोर्ट वेसल आईएनएस निस्तार सहित अन्य स्वदेशी प्लेटफार्मों का जलावतरण होगा, ये सभी जहाज़ सिर्फ़ 2025 में ही जलावतरण किए जाएँगे। कठोर समुद्री परीक्षणों ने फ्रिगेट्स के पतवार, मशीनरी, अग्निशमन, क्षति नियंत्रण, नेविगेशन और संचार प्रणालियों की पुष्टि की है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ है कि वे परिचालन तैनाती के लिए तैयार हैं।
इस प्रकार विशाखापत्तनम में होने वाला आगामी समारोह एक नौसैनिक अनुष्ठान से कहीं बढ़कर होगा; यह एक मज़बूत और आत्मनिर्भर समुद्री रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र की ओर भारत की यात्रा का उत्सव होगा। जब राष्ट्र इन दो जहाजों को बेड़े में शामिल होते देखेगा, तो संदेश स्पष्ट जाएगा कि भारत के महासागरों की रक्षा भारत में निर्मित, भारतीयों द्वारा डिजाइन किए गए तथा भारतीयों द्वारा संचालित जहाज कर रहे हैं । यह मेक इन इंडिया पहल तथा देश की बढ़ती समुद्री शक्ति का प्रतीक है।

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