घर बैठे मतदान ..
सुनो युवाओं, निर्माताओं , कर्णधारों देश के
न जाते मतदान केंद्र पर, पर उम्मीदें देश से ??
शासन और सुशासन चाहिए लेकिन फ़र्ज़ नहीं करना
सुनलो,कर्तव्यों की डोली पहले पड़ता है चढ़ना
सहज सदा वातानुकूलित ,कमरों में चर्चाएं करना
जाति,धर्म,आरक्षण,शोषण पर केवल रचनाएं गढ़ना
भाषणबाजी, छींटाकशी, दोषारोपण जितना करलो
बिन आहुति संवरे कैसे सपने ,तनिक मनन भी करलो
सैर-सपाटा, प्रेमोत्सव दिन ,सब कुछ बड़ा लुभाता है
पंचवर्षीय मतदान महोत्सव, फिर क्यों नही सुहाता है
युवावर्ग की दशा और, नक्षत्र बदलना चाहो तुम
मत देने में उदासीनता, आख़िर क्यों अपनाओ तुम
देश निहारे तुम्हें युवाओं , आलस त्यागो ,वोट दो
कर मतदान कुशल प्रतिनिधि को, संसद में तुम पहुंचा दो
प्रजातंत्र में अंगद जैसे ,पांव जमाने पड़ते हैं
अपने अधिकारों खा़तिर, कर्तव्य निभाने पड़ते हैं
अभिलाषाओं का मंदिर ,अयोग्य हाथों में सौंपें क्यों ?
बांध टकटकी शून्य क्षितिज पर उदासीन से ताके क्यों ?
जो करते मतदान,परिस्थिति अवश्यमेव बेहतर होती
आशाएं पूरी होतीं ,हर थाली भी बेहतर होती
प्रजातंत्र शासन जनता का ,जनता हेतु, जनता द्वारा
मत देना ,सुशासन चुनना ,है हक़ और अधिकार हमारा।
@मधु माहेश्वरी गुवाहाटी असम
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