वैज्ञानिक जिज्ञासा को पोषित करने और युवा मस्तिष्कों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है भारत: मोदी

नयी दिल्ली 12 अगस्त (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की वैज्ञानिक जिज्ञासा को पोषित करने और युवा मस्तिष्कों को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए दुनिया भर के युवा मस्तिष्कों को भारत में अध्ययन, शोध और सहयोग करने के लिए आमंत्रित किया है।

श्री मोदी ने मंगलवार को यहां एक वीडियो संदेश के माध्यम से खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी पर 18वें अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड को संबोधित करते हुए कहा कि अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं में एक करोड़ से ज़्यादा छात्र प्रायोगिक प्रयोगों के ज़रिए ‘स्टेम’ यानी विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित की अवधारणाओं को समझ रहे हैं, जिससे सीखने और नवाचार की संस्कृति का निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा कि ज्ञान तक पहुँच को और अधिक लोकतांत्रिक बनाने के लिए ‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ योजना शुरू की गई है। यह लाखों छात्रों और शोधकर्ताओं को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं तक मुफ़्त पहुँच प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि ‘स्टेम’ क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी के मामले में भारत एक अग्रणी देश है। विभिन्न पहलों के तहत अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में अरबों डॉलर का निवेश किया जा रहा है। उन्होंने दुनिया भर के युवा मस्तिष्कों को भारत में अध्ययन, शोध और सहयोग करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, “ कौन जानता है कि अगली बड़ी वैज्ञानिक सफलता ऐसी साझेदारियों से ही मिल सकती है!”
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने 64 देशों के 300 से अधिक प्रतिभागियों से जुड़ने पर प्रसन्नता व्यक्त की और अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड के लिए उनका भारत में हार्दिक स्वागत किया। उन्होंने कहा, “भारत में परंपरा का नवाचार से, अध्यात्म का विज्ञान से और जिज्ञासा का रचनात्मकता से मिलन होता है। सदियों से, भारतीय आकाश को निहारते और बड़े सवाल पूछते रहे हैं।" उन्होंने आर्यभट्ट का उदाहरण दिया, जिन्होंने पाँचवीं शताब्दी में शून्य का आविष्कार किया था और सबसे पहले यह बताया था कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है। प्रधानमंत्री ने कहा, "सचमुच, उन्होंने शून्य से शुरुआत की और इतिहास रच दिया!”
श्री मोदी ने कहा, “भारत में दुनिया की सबसे ऊँची खगोलीय वेधशालाओं में से एक लद्दाख में स्थित है, जो समुद्र तल से 4,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह तारों से हाथ मिलाने के लिए पर्याप्त निकट है!” उन्होंने पुणे स्थित विशाल मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप का भी उल्लेख किया और इसे दुनिया के सबसे संवेदनशील रेडियो टेलीस्कोपों में से एक बताया, जो पल्सर, क्वासर और आकाशगंगाओं के रहस्यों को सुलझाने में मददगार है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत स्क्वायर किलोमीटर एरे और लिगो-इंडिया जैसी वैश्विक मेगा-विज्ञान परियोजनाओं में गर्व से योगदान देता है। उन्होंने याद दिलाया कि दो साल पहले, चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला मिशन बनकर इतिहास रच दिया था। उन्होंने कहा कि भारत ने आदित्य-एल 1 सौर वेधशाला के साथ सूर्य पर भी अपनी नज़रें गड़ा दी हैं, जो सौर ज्वालाओं, तूफानों और सूर्य के मिजाज पर नज़र रखती है। उन्होंने बताया कि पिछले महीने, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अपना ऐतिहासिक मिशन पूरा किया, और इसे सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण और युवा खोजकर्ताओं के लिए प्रेरणा बताया।
प्रतिभागियों को मानवता के लाभ के लक्ष्य के साथ अपने प्रयासों को जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए श्री मोदी ने युवा अन्वेषकों से इस बात पर विचार करने का आग्रह किया कि अंतरिक्ष विज्ञान पृथ्वी पर जीवन को और कैसे बेहतर बना सकता है। उन्होंने महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए: किसानों को और बेहतर मौसम पूर्वानुमान कैसे उपलब्ध कराए जा सकते हैं? क्या हम प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगा सकते हैं? क्या हम जंगल की आग और पिघलते ग्लेशियरों पर नज़र रख सकते हैं? क्या हम दूरदराज के इलाकों के लिए बेहतर संचार व्यवस्था बना सकते हैं? प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि विज्ञान का भविष्य युवा मस्तिष्कों के हाथों में है, और कल्पनाशीलता व करुणा के साथ वास्तविक दुनिया की समस्याओं का समाधान करने में निहित है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की शक्ति में विश्वास करता है, और यह ओलंपियाड उसी भावना को दर्शाता है। ” उन्होंने कहा कि ओलंपियाड का यह संस्करण अब तक का सबसे बड़ा है। उन्होंने इस आयोजन को संभव बनाने के लिए होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च को धन्यवाद दिया।
श्री मोदी ने प्रतिभागियों को ऊँचे लक्ष्य रखने और बड़े सपने देखने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, “और याद रखें, भारत में, हम मानते हैं कि आकाश सीमा नहीं है, यह तो बस शुरुआत है!”

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