उप्र में कारागार विभाग में तैनात सुरक्षाकर्मियों को मिलेंगी अत्याधुनिक इंसास राइफलें
लखनऊ, 03 सितंबर (वार्ता) उत्तर प्रदेश की जेलों में सुरक्षा व्यवस्था मज़बूत करने के एक महत्वपूर्ण कदम के तहत राज्य कारागार विभाग ने पुरानी ब्रिटिशकालीन .303 ली एनफ़ील्ड राइफलों को आधुनिक इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इंसास) राइफलों से बदलना शुरू कर दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश की जेलों में वर्तमान में लगभग 93,000 कैदी हैं जिनमें दुर्दांत अपराधी, गैंगस्टर और आतंकवाद के आरोपी शामिल हैं। इनमें से कई का जेल हिंसा, जेल से भागने के प्रयासों और बाहरी बचाव के खतरों का इतिहास रहा है। अब तक जेलकर्मी अक्सर लाठियों या भारी एनफ़ील्ड राइफलों पर निर्भर रहते थे जिन्हें मुश्किल स्थितियों में चलाना मुश्किल होता था।इंसास राइफलों को शामिल करने से जेल सुरक्षाकर्मियों को एक बहुत जरूरी तकनीकी बढ़त मिलेगी। ये हथियार पहले से ही सीआरपीएफ, बीएसएफ और जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़ और असम के पुलिस बलों द्वारा इस्तेमाल की जा रही हैं।
अर्ध-स्वचालित फायरिंग क्षमता, कम वजन और बेहतर रेंज के साथ, इंसास गार्डों को दंगों, भागने के प्रयासों या सशस्त्र हमलों का अधिक तेजी से जवाब देने में सक्षम बनाता है।
डीआईजी (कारागार) पीएन पांडे ने बताया कि पहले चरण में 122 इंसास राइफलें खरीदी गईं और इन्हें भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित संवेदनशील जेलों सहित मंडलीय और ज़िला जेलों में वितरित किया गया।
उन्होंने कहा, "हल्की, तेज़ और ज़्यादा सटीक इंसास राइफलें न केवल जेल सुरक्षा को आधुनिक बनाएँगी, बल्कि जेल वार्डरों के आत्मविश्वास और तत्परता को भी बढ़ाएंगी, जिससे पुरानी एनफ़ील्ड राइफलें इतिहास बन जाएंगी।
अधिकारियों की माने तेा इंसास का समावेश विशेष रूप से उच्च जोखिम वाली जेलों में उपयोगी साबित होगा जहां गिरोह प्रतिद्वंद्विता, हथियारों की तस्करी और कर्मचारियों पर हमले की खबरें आती रहती हैं।
आधुनिकीकरण अभियान गृह विभाग द्वारा जेल सुरक्षा को अग्रिम पंक्ति के पुलिसिंग मानकों के साथ बनाए रखने और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयारी के तौर पर विभाग ने यह कदम उठाया है।
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