56 करोड़ जन धन खातों में 13 करोड़ निष्क्रिय
नयी दिल्ली, 31 अगस्त (वार्ता) देश में पिछले 11 साल में खोले गये 56 करोड़ जन धन खातों में से 13 करोड़ निष्क्रिय हो गये हैं यानी उनमें दो साल या उससे अधिक समय से कोई लेनदेन नहीं हुआ है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से संसद के हाल में समाप्त सत्र में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी गयी है। इसे देखते हुए इन निष्क्रय खातों की पुनः केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) प्रक्रिया पूरी करने के लिए सरकार ने 01 जुलाई से ग्राम पंचायत स्तर पर संतृप्ति अभियान शुरू किया गया है जो 30 सितंबर तक चलेगा।इस साल 31 जुलाई तक देश में जन धन खातों की संख्या 56,03,84,490 थी जिनमें 13,04,52,845 खाते निष्क्रिय थे। यह कुल खातों के 23 प्रतिशत से अधिक है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 9,98,47,121 जन धन खाते खोले गये हैं और वहां निष्क्रिय खातों की संख्या 2,75,04,107 (27 प्रतिशत से अधिक) है। इसके बाद बिहार में 6,47,91,296 जन धन खातों में से 1,39,00,934 निष्क्रिय हैं।
पश्चिम बंगाल में 5,42,25,684 जन धन खातों में से 88,35,398 निष्क्रिय हैं जबकि मध्य प्रदेश में 4,58,29,191 में से निष्क्रिय जन धन खातों की संख्या 1,07,06,565 है।
उल्लेखनीय है कि इन जन धन खातों के माध्यम से गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के रूप में उन्हें दिया जाता है। खाता निष्क्रिय होने के बाद भी उनमें लाभ हस्तांतरण जारी रहता है, हालांकि यह लेनदेन बैंक खाते को सक्रिय रखने के लिए काफी नहीं है।
जन धन योजना की शुरुआत 28 अगस्त 2014 को हुई थी। वित्त मंत्रालय के अनुसार, 13 अगस्त 2025 को इन खातों में जमा औसत राशि 4,768 रुपये है।

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