गैर-राजग शासित राज्य जीएसटी में 'सशर्त' सुधार के लिए तैयार
नयी दिल्ली, 30 अगस्त (वार्ता) 'इंडिया' गठबंधन के दलों के शासन वाले राज्य वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में स्लैब की संख्या कम करने और आवश्यक वस्तुओं पर दरें कम करने का समर्थन करने को तैयार हैं, लेकिन उनकी कुछ शर्तें भी हैं।
देश के आठ राज्यों कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में इस समय गैर-राजग दलों की सरकारें हैं।विपक्षी गठबंधन के मुख्य घटक कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “इन राज्यों ने जीएसटी दर स्लैब की संख्या में कमी और आम उपभोग की वस्तुओं की दरों में कमी का समर्थन किया है।”
श्री रमेश ने बताया कि इन राज्यों की कुछ शर्तें भी हैं। पहली शर्त यह है कि एक ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये जो यह सुनिश्चित करे कि दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा। इसके अलावा, सभी राज्यों को पांच साल की अवधि के लिए मुआवजा दिया जाये क्योंकि दरों में कटौती से उनके राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है। तीसरी शर्त शराब आदि जैसी प्रतिकूल प्रभाव वाली और विलासिता की वस्तुओं पर लगने वाले 40 प्रतिशत कर का पूरा हिस्सा राज्यों को हस्तांतरित किया जाये।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को विभिन्न उपकरों से लगभग 17-18 प्रतिशत राजस्व प्राप्त होता है, जो राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता है।
कांग्रेस नेता ने इन मांगों को पूरी तरह जायज बताया और कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) द्वारा प्रकाशित हालिया शोध पत्र भी इन मांगों को जायज ठहराते हैं।
उन्होंने कहा कि "जीएसटी 2.0" न केवल कर स्लैब को सरल बनायेगा, बल्कि अनुपालन प्रक्रिया, खासकर छोटे तथा मध्यम उद्यमों के लिए, में भी व्यापक बदलाव लायेगा। कांग्रेस लंबे समय से इसकी मांग कर रही है।उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद की बैठक 3-4 सितंबर हो होगी।
राज्यसभा सांसद ने कहा कि कांग्रेस यह सुनिश्चित करने की अनिवार्यता पर भी जोर दे रही है कि सभी राज्यों के हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाये। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले सप्ताह होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक सिर्फ मोदी सरकार की तरह सुर्खियां बटोरने वाली गतिविधि नहीं होगी, बल्कि वास्तविक सहकारी संघवाद की भावना को भी आगे बढ़ायेगी।

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