हस्तशिल्प और संस्कृति का संगम, 10 दिवसीय राष्ट्रीय शिल्प मेला
एनसीजेडसीसी निदेशक सुदेश शर्मा ने शनिवार को पत्रकारों से कहा कि संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से आयोजित यह मेला एक बार फिर कला , शिल्प और संस्कृति के भव्य समागम के लिए तैयार है। “ एक भारत श्रेष्ठ भारत “ पहल के तहत राष्ट्रीय शिल्प मेला इस वर्ष एक दिसंबर से 10 दिसंबर तक एनसीजेडसीसी मैदान मे आयोजित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिल्प मेला को प्लास्टिक मुक्त बनाना केवल एक पहल नहीं, बल्कि हमारे आने वाले कल के प्रति जिम्मेदारी है। हम सभी शिल्पकारों और आगंतुकों से विनम्र आग्रह करते हैं कि पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम में प्लास्टिक का पूर्णतः परित्याग कर स्वच्छ.हरित संस्कृति को बढ़ावा दें।
केंद्र निदेशक सुदेश शर्मा ने यह 32वां शिल्प मेला में पूरे देश की कला और खानपान की झलक मिलेगी। इस वर्ष के मेले में देश के 20 राज्यों से आए शिल्पकारों के लिए कुल 156 स्टॉल लगाए जा रहे हैं। इनमें 129 स्टॉल उत्कृष्ट शिल्प उत्पादों के लिए होंगे जबकि 27 स्टॉल विभिन्न राज्यों के पारंपरिक और जायकेदार व्यंजनों के लिए समर्पित होंगे।
मेले में शिल्प उत्पादों की एक विशाल विविधता देखने को मिलेगी | कर्नाटक का सिल्क सूट , मध्य प्रदेश की हैंड एम्ब्रॉयडरी , यूपी , झारखंड और बिहार के सिल्क वस्त्र व शॉल , जयपुरी रज़ाइयां वहीं हैदराबाद के मशहूर मोती , बंगाल की धान ज्वेलरी , स्टोन ज्वैलरी लोगों को लुभाएगी।
हस्तशिल्प में राजस्थान की स्टोन कार्विंग, मोजाइक ग्लास , टेराकोटा बर्तन , मुरादाबाद के पीतल के बर्तन , लकड़ी के खिलौने और भगवान के पोशाक जबकि पंजाब की फुलकारी और जूती , कई प्रदेशों के चर्म शिल्प , चटाई , ड्राई फ्लावर और चादर एवं आंध्र प्रदेश, ओडिशा , छत्तीसगढ़ राज्यों के उत्पादों का प्रदर्शन होगा। मेले में ऐसे आठ शिल्पकार मुख्य आकर्षण होंगे जिन्हें उनके खास उत्पादों ;जैसे फुलकारी, बनारसी साड़ी, जामदानी साड़ी, चिकनकारी अद्धी के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है।

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