चीन के नागरिक को नहीं मिली उच्च न्यायालय से जमानत
न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकल पीठ ने नकली पासपोर्ट और आधार कार्ड बनवाने , वीजा में हेराफेरी करने के आरोपी चीन के नागरिक शू फी को जमानत देने से इसलिए इन्कार कर दिया कि यह यह देश के लिए आर्थिक खतरा पैदा करता है।
गौतमबुद्ध नगर के थाना बीटा.2 में 2022 में चीनी नागरिक शू फी उर्फ कोएई के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। नेपाल के रास्ते भारत में घुसते समय पकड़े गए युवक से मिली जानकारी पर याची को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। आरोप है कि उसने लाक्पा शेरपा के नाम से नकली भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड बनवाया। वीजा की वैधता 2020 से 2022 तक बढ़ाने के लिए जालसाजी की। वहीं , प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के माध्यम से स्क्रैप से चिप और प्रोसेसर निकालकर अवैध रूप से चीन भेजने का काम कर रहा था। उसने उच्च न्यायालय में जमानत के लिए अर्जी दायर की थी ।
न्यायालय ने कहा कि भारत, चीन के बीच मौजूदा तनावपूर्ण संबंध और कोई प्रत्यर्पण संधि न होने के कारण आवेदक के फरार होने का खतरा है। यह भी पाया गया कि एक सह-आरोपी पहले ही देश छोड़कर भाग चुका है। अदालत ने कहा कि मामले की डायरी में ऐसा सबूत है, जो दर्शाता है कि आवेदक नकली दस्तावेजों के आधार पर भारत में रह रहा था और अवैध गतिविधियों में शामिल था। अदालत साक्ष्य अधिनियम के तहत भारत और चीन के बीच के तनावपूर्ण संबंधों को नजरअंदाज नहीं कर सकती। याची करीब साढ़े तीन साल से जेल में है। इसलिए ट्रायल को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।

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